यूं तो उत्तराखण्ड की धरती अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति अनुभव के लिये जानी जाती है, यहाँ स्थित ऊंचे- ऊंचे पहाड़, झील, झरने व नदियां ये सब आपको अपनी ओर खींचती है, उत्तराखण्ड की धरती कई सारे धर्म स्थलों का संगम है इसीलिये इसे देवभूमि भी कहा जाता है तो आज हम उन्ही धर्म स्थल मे से एक पूर्णागिरि धाम के बारे मे पूरी जानकारी देने वाले है जहाँ जाने के बाद एक अलग ही शुकून मिलता है, तो ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़े-
1. पूर्णागिरि मंदिर का इतिहास- History of Purnagiri Temple.
पूर्णागिरि: कहा जाता है कि यहाँ माता सती के नाभी का हिस्सा गिरा था इसकी पूरी कहानी शिव पुराण के अनुसार कुछ इस प्रकार है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री माता सती का विवाह भगवान शंकर से हुआ था परन्तु दक्ष प्रजापति को भगवान शंकर का रहन सहन अच्छा नहीं लगता था, एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने यहाँ भव्य यज्ञ का आयोजन कराया था जिसमे सभी देवी- देवताओं को आमंत्रित किया गया था परन्तु ईष्या की द्रष्टि से दक्ष ने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था यह बात जब माता सती को पता चली तो उन्होने भगवान शिव के अपमान के विरोध मे उसी यज्ञ मे अपने प्राणों की आहुति दे दी और जब इस बात का पता भगवान शंकर को चला तो भगवान शंकर ने यज्ञ स्थल से माता सती के मृत शरीर को उठाकर भयंकर क्रोध मे पूरे ब्रम्हांड मे तांडव मचा दिया और पूरे ब्रम्हांड को हिला कर रख दिया तब भगवान विष्णू ने भगवान शंकर का क्रोध शांत करने के लिये अपने चक्र से माता सती के मृत शरीर के 51 टुकड़े कर दिये और जहाँ- जहाँ धरती पर माता के शरीर के टुकड़े गिरे थे उस स्थान को शक्तिपीठ कहा जाने लगा और उन्ही शक्तिपीठों मे से एक शक्तिपीठ पूर्णागिरि मंदिर भी है।
2.पूर्णागिरि मंदिर कहाँ स्थित है और कैसे जाएं- Where is Purnagiri Temple Located and how to reach.
3. पूर्णागिरि मंदिर मे रुकने व खाने की व्यवस्था- Arrengement for Stay and food at Purnagiri Temple.
4. पूर्णागिरि मे किन-किन बातों का ध्यान रखें- What are the things to be kept in mind at Purnagiri.
- अगर आप टनकपुर से पूर्णागिरि मंदिर के लिये पैदल यात्रा कर रहे हैं तो आप पहाड़ों पर कोई भी शार्टकट लेने बचें अन्यथा किसी अप्रिय घटना का शिकार हो सकते हैं क्योंकि कई भक्त ऐसा करते है और कई भक्त इस दौरान फिसल कर चोटिल भी हो जाते हैं।
- जब आप मंदिर की चढ़ाई प्रारम्भ कर रहें हो तो उससे पहले आपके पास जो भी चमड़े से बने उत्पाद हों उन्हे वहीं किसी धर्मशाला मे रखकर ही दर्शन के लिये जायें।
- माता के दर्शन करने के पश्चात आप वापस नीचे आके भैरव बाबा मंदिर के दर्शन जरूर करें।
- माता के दर्शन के पश्चात शारदा नदी के दूसरी छोर पर नेपाल बार्डर मे स्थित बाबा सिद्धनाथ के दर्शन जरूर करें कहा जाता है कि बाबा सिद्धनाथ के दर्शन के बिना माता के दर्शन अधूरे रहते हैं।
- वैसे तो आप यहाँ किसी भी मौसम मे आ सकते हैं फिर भी आप हो सके तो बरसात के मौसम मे आने से बचें क्योंकि पहाड़ों मे बरसात के समय कई प्रकार के खतरे होते हैं कई बार भूस्खलन हो जाता है जिससे कभी- कभी रास्ते भी बंद कर दिये जाते हैं और आप वहीं कई दिनो तक फसे रह सकते हैं।
- और आखिर मे एक चीज का ध्यान जरूर रखें कि आप यहाँ साफ- सफाई का ध्यान जरूर रखें आप अपने से कोई कूड़ा या गंदगी न फैलाएं क्योंकि ये सब हमारी प्राकृतिक धरोहरें हैं और इनको साफ- सुथरा रखना हमारा परम कर्तव्य है।
5. पूर्णागिरि मंदिर के लिये कितना बजट लगेगा- How much need Budget to go Purnagiri Temple.
- टनकपुर पहुंचकर आप अगर आप होटल लेते हैं तो आपको 500रू तक मे बहुत अच्छा रूम मिल जायेगा जिसमे कि 4 लोग आराम से रुक सकते हैं और यहाँ खाने की बात करें तो प्रति व्यक्ति 70रू से लेकर 150रू मे मिल जाता है, अगर आप रूम का खर्च बचा सकते हैं तो आपके 500रू बच सकते हैं।
- इसके बाद टनकपुर से पूर्णागिरि मंदिर के लिए आपको टैक्सी लेनी होगी जिसका किराया प्रति व्यक्ति लगभग 40रू से लेकर 60रू तक होता है और इतना ही वापस आने का जोड़ लेना।
- पूर्णागिरि मंदिर पहुंचकर आपको प्रसाद लेना होगा जोकि आपके श्रद्धा पर निर्भर करता है कि आप कितना प्रसाद लेते हैं।
- कुल मिलाकर आपका कुल खर्च प्रति व्यक्ति लगभग 1500रु से भी कम आयेगा।